2026 में सूखे जैसे हालात? अल नीनो का बढ़ता खतरा और मानसून पर मंडराते संकट के बादल

मानसून 2026 पर अल नीनो का साया

भारत के कृषि और अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले मानसून को लेकर वर्ष 2026 के लिए शुरुआती पूर्वानुमान चिंताजनक संकेत दे रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रशांत महासागर में ‘अल नीनो’ (El Niño) की स्थिति दोबारा सक्रिय होने की संभावना है। अल नीनो के दौरान मानसूनी हवाएं कमजोर पड़ जाती हैं, जिससे भारत में वर्षा की मात्रा में भारी कमी आती है। वर्तमान विश्लेषण बताते हैं कि जुलाई, अगस्त और सितंबर के महत्वपूर्ण महीनों में अल नीनो का प्रभाव अपने चरम पर हो सकता है, जिससे देश के कई हिस्सों में सूखे जैसे हालात पैदा होने की आशंका है।

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प्रशांत महासागर और ला नीना का बदलता मिजाज

मानसून की स्थिति मुख्य रूप से प्रशांत महासागर के ‘निनो 3.4’ क्षेत्र के तापमान पर निर्भर करती है। वर्तमान में सक्रिय ‘ला नीना’ (La Niña), जो भारत में अच्छी बारिश लाता है, जनवरी या फरवरी 2026 के बाद समाप्त होने वाला है। इसके बाद समुद्र का तापमान बढ़ने की प्रक्रिया शुरू होगी। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मौसम मॉडलों के शुरुआती अनुमानों के अनुसार, मानसून के उत्तरार्ध में अल नीनो का खतरा बढ़ने वाला है। ऐतिहासिक आंकड़ों (1871-2023) पर नजर डालें तो पता चलता है कि अल नीनो की उपस्थिति में देश में वर्षा का स्तर हमेशा कम रहा है और केवल चार बार ही अच्छी बारिश दर्ज की गई है।

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